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Wali Mohammed Wali: Urdu Poet

  • Writer: nupur maskara
    nupur maskara
  • Apr 29
  • 1 min read

जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे

उसे ज़िंदगी क्यूँ न भारी लगे


न छोड़े मोहब्बत दम-ए-मर्ग तक

जिसे यार-ए-जानी सूँ यारी लगे


न होवे उसे जग में हरगिज़ क़रार

जिसे इश्क़ की बे-क़रारी लगे


हर इक वक़्त मुझ आशिक़-ए-पाक कूँ

प्यारे तिरी बात प्यारी लगे


'वली' कूँ कहे तू अगर यक बचन

रक़ीबाँ के दिल में कटारी लगे



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